शुक्रवार, 9 नवंबर 2012

11.Madhu Singh :jalao diye aaj

 दीपावली की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ 
  







जलाओ दिये आज
चलो  हम जलायें  दिए प्यार  से  प्यार के 
 तिमिर का कहीं  भी पर निशां  रह न पाये

बने  हम सृजन की आज एक भाषा  नई 
नफ़रतों  के  अंधेरें  कहीं  दिख  न  पाए

दिलों में  उगायें  हम   मोहब्बत की बेलें 
सहरा  इस ज़मी  पर  कहीं  दिख न पाए

फूल बगिया  में हम  एक  ऐसा खिलायें 
 मोहब्बत की खुशबू से कोई बच न पाए 

 सांसों  में  सब   के इक  खुशबू   बसायें 
 जख्म हमारे दिलों में कहीं दिख न पाए

 प्यार बन हम दिलों में ऐसा दीपक जलाएं 
 घरों  में कहीं तिमिर का निशां रह न पाए 

 चलो आज हम सब मिल  दिवाली मनाएँ
 सियासत  कमीनी  कहीं  भी  रह  न पाए
                            मधू "मुस्कान"
   















9 टिप्‍पणियां:

  1. चलो ऐसी ही दिवाली मनाएँ...दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ !!

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  2. कल 11/11/2012 को आपकी यह बेहतरीन पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (11-11-2012) के चर्चा मंच-1060 (मुहब्बत का सूरज) पर भी होगी!
    सूचनार्थ...!

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  4. दीपावली मनाने का अच्छा तरीका...
    अति सुन्दर रचना....
    दीपवाली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ...
    :-)

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  5. बहुत खूबसूरत प्रस्तुति
    मन के सुन्दर दीप जलाओ******प्रेम रस मे भीग भीग जाओ******हर चेहरे पर नूर खिलाओ******किसी की मासूमियत बचाओ******प्रेम की इक अलख जगाओ******बस यूँ सब दीवाली मनाओ

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  6. चलो ज्योत से फिर एक ज्योत जलाएं ,

    प्रेम की गंगा मिलकर बहायें .

    मोहब्बत के दीये हर आँगन जलाएं .

    ये तेरा ये मेरा ,सभी मिल हटायें .

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  7. चलो ज्योत से फिर एक ज्योत जलाएं ,

    प्रेम की गंगा मिलकर बहायें .

    मोहब्बत के दीये हर आँगन जलाएं .

    ये तेरा ये मेरा ,सभी मिल हटायें .

    बहुत सुन्दर रचना है आपके सु-मन मंदिर सी .बधाई दिवाली .

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  8. बहुत अच्छी कविता लिखी इस शुभ दिन धनतेरस के दिन पहली बार आई हूँ आपके ब्लॉग पर जुड़ भी गई हूँ आपके ब्लॉग के साथ बहुत बहुत शुभकामनाएं और बधाई वक़्त मिले तो मेरे ब्लॉग पर भी आइये आपका स्वागत हैhttp://hindikavitayenaapkevichaar.blogspot.in

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